Month: अगस्त 2017

कटनी के लिए तैयार

गर्मी बाद, हम इंगलैंड के न्यू फारेस्ट में घूमने गए और वहां पर जंगली बेर चुनने का आनंद लिया और पास ही घोड़ों को उछलते कूदते देखा l  दूसरों के द्वारा वर्षों पहले लगाए गए पेड़ों के मीठे फलों का आनंद लेते हुए, मैंने यीशु द्वारा शिष्यों को कहे गए शब्दों को याद किये, “मैंने तुम्हें वह खेत काटने के लिए भेजा जिसमें तुमने परिश्रम नहीं किया” (यूहन्ना 4:38) l

मैं इन शब्दों में परमेश्वर के राज्य की उदारता पसंद करता हूँ l वह हमें दूसरों की मेहनत के फल का आनंद लेने देता है, जैसे जब हम किसी सहेली के साथ, जिसके परिवार को हम नहीं जानते हैं, और जो वर्षों से उसके लिए प्रार्थना कर रहा है, के साथ मसीह का प्रेम बांटते हैं l मुझे यीशु के शब्दों की सीमा भी पसंद है, कि हम बीज बोएँगे किन्तु हम नहीं कोई और कटनी काट सकेगा l इसलिए हम उस कार्य में भरोसा कर सकते हैं जो हमारे सामने है l हम इस सोच से धोखा नहीं खाएंगे कि हम परिणाम के लिए जिम्मेदार हैं l आखिरकार, परमेश्वर का कार्य हम पर निर्भर नहीं है l भरपूर कटनी के लिए उसके पास समस्त साधन है, और हम सौभाग्यशाली हैं कि हम भी उसमें भूमिका निभा सकते हैं l

मैं सोचता हूँ कि किस तरह के खेत आपके सामने और मेरे सामने कटनी के लिए तैयार हैं? हम यीशु के प्रेमी निर्देश का पालन करें : “अपनी आँखें उठाकर खेतों पर दृष्टि डालो कि वे कटनी के लिए पाक चुके हैं” (पद. 4:35) l

शांत रहें

हमनें बीते पांच वर्षों के मानव इतिहास में सबसे अधिक सूचनाएँ एकत्रित की हैं, और यह हर समय हमारे पास आ ररही हैं” (द आर्गनाइज्ड माइंड : थिंकिंग स्ट्रेट इन द एज ऑफ़ इन्फोर्मेशन ओवरलोड  के लेखक डेनियल लेविटिन) l लेविटिन कहते हैं, “एक अर्थ में हम अधिक हलचल के आदि हो जाते हैं l” खबर और ज्ञान का निरंतर आक्रमण हमारे दिमाग पर अधिकार कर लेता है l हमारे परिवेश में मीडिया के निरंतर आक्रमण के कारण, शांत रहकर सोचने और प्रार्थना करने हेतु समय निकालना बहुत कठिन हो गया है l

भजन 46:10 कहता है, “चुप हो जाओ, और जान लो कि मैं ही परमेश्वर हूँ l” यह हमें समय निकलकर प्रभु पर केन्द्रित होने की आवश्यकता याद दिलाता है l अनेक लोग मानते हैं कि “मनन का समय” अर्थात् बाइबिल पढ़ना, प्रार्थना करना और परमेश्वर की भलाई  और महानता पर विचार करना हर दिन का एक महत्वपूर्ण भाग है l

भजन 46 के लेखक की तरह जब हम, इस सच्चाई का अनुभव करते हैं कि “परमेश्वर हमारा शरणस्थान और बल है” (पद.1), यह हमारे भय को दूर करता है (पद.2), संसार के कष्ट से हमारा ध्यान हटाकर परमेश्वर की शांति की ओर ले जाकर, शांत भरोसा उत्पन्न करता है कि हमारा परमेश्वर नियंत्रण रखनेवाला है (पद.10) l

चाहे हमारा संसार कितना भी अस्त-व्यस्त हो, हम अपने स्वर्गिक परमेश्वर के प्रेम और सामर्थ्य में शांति और सामर्थ्य प्राप्त कर सकते हैं l

मोड़

एक सेवानिवृत सैनिक के अंतिम संस्कार के समय एक पासवान के मन में ख्याल आया कि वह सैनिक कहाँ होगा l किन्तु तब ही, लोगों को यह न बताकर कि वे परमेश्वर को कैसे जान सकते हैं, उसने काल्पनिक बातें करनी शुरू कर दी जो बाइबिल में नहीं हैं l ऐसी बातें सुनकर मैं सोचने लगा l आशा कहाँ है?

आखिर में उसने अंतिम गीत गाने को कहा l और जब हम खड़े होकर “प्रभु महान” गाने लगे, लोग अपने हृदय की गहराई से परमेश्वर की प्रशंसा करने लगे l कुछ ही क्षणों में, पूरे कमरे का वातावरण ही बदल गया था l अचानक, आश्चर्यजनक रूप से, तीसरे पद के मध्य मेरी भावनाएं मेरी आवाज़ से तीव्र थी l

जब सोचता हूँ कि पिता अपना पुत्र, मरने भेजा है वर्णन से अपार,

कि क्रूस पर उसने मेरे पाप सब लेकर, रक्त बहाया कि मेरा हो उद्धार l

उस गीत के गाने तक, मैं सोच रहा था कि परमेश्वर उस अंतिम संस्कार में उपस्थित होगा या नहीं l सच्चाई यह है कि वह तो कभी छोड़ता ही नहीं है l एस्तेर की पुस्तक से यह सच्चाई प्रगट होती है l यहूदी बन्धुआई में थे, और शक्तिशाली लोग उनको मारना चाहते थे l फिर भी सबसे कठिन समय में, अधर्मी राजा ने दास बनाए गए इस्राएलियों को उनके विरुद्ध खुद का बचाव करने की अनुमति दी जो उनको मार डालना चाहते थे  (एस्तेर 8:11-13) l परिणामस्वरूप एक सफल बचाव दिखा और उत्सव मनाया गया (9:17-19) l

यदि किसी अंतिम संस्कार में परमेश्वर एक गीत के शब्दों द्वारा खुद को प्रगट करता है तो इसमें चकित होने की ज़रूरत नहीं l आखिरकार, उसने एक प्रयासित जातिसंहार को उत्सव में और एक क्रूसीकरण को जी उठने और उद्धार में बदल दिया!

दुःख से आनंद तक

केली की गर्भावस्था में परेशानी आ गयी, और डॉक्टर चिंतित हो गए l उसके

लम्बे प्रसव पीड़ा में, उन्होंने फुर्ती से सर्जरी (Cesarean section) करने का निर्णय लिया l  किन्तु कठिन समय में, केली अपना दर्द भूल गयी जब उसने अपने नवजात बेटे को अपनी गोद में उठाया l दर्द आनंद में बदल गया l

बाइबिल इस सच्चाई की पुष्टि करती है : “प्रसव के समय स्त्री को शोक होता है, क्योंकि उसकी दुःख की घड़ी आ पहुंची है, परन्तु जब वह बालक को जन्म दे चुकती है, तो इस आनंद से कि संसार में एक मनुष्य उत्पन्न हुआ, उस संकट को फिर स्मरण नहीं करती” (यूहन्ना 16:21) l यीशु ने इस बात पर बल देने के लिए अपने शिष्यों के साथ इस उदाहरण का उपयोग किया कि उसके शीघ्र जाने से उनको दुःख होगा, किन्तु जब वे उसे पुनः देखेंगे उनका मन फिर आनंद से भर जाएगा (पद.20-22) l

यीशु अपनी मृत्यु और जी उठने और उसके बाद आनेवाली बातों के विषय कह रहा था l उसके जी उठने के बाद, शिष्य आनंदित हुए, क्योंकि यीशु उनको छोड़कर स्वर्ग जाने से पूर्व चालीस दिनों तक उनके साथ रहा और उनको सिखाता रहा (प्रेरितों 1:3) l फिर भी यीशु उनको दुखित नहीं छोड़ा l पवित्र आत्मा उनको आनंद से भरने वाला था (यूहन्ना 16:7-15; प्रेरितों 13:52) l

यद्यपि हम लोगों ने यीशु को आमने-सामने नहीं देखा है, विश्वासी होने के कारण हमें भरोसा है कि एक दिन हम उसे देखेंगे l उस दिन, हम पृथ्वी पर का दुःख भूल जाएंगे l किन्तु उस समय तक, प्रभु ने हमें आनंद के बिना नहीं छोड़ा है l उसने हमें अपना पवित्र आत्मा दिया है (रोमि. 15:13; 1 पतरस 1:8-9) l

आप मूल हैं

परमेश्वर ने हममें से हर एक को मूल रूप में बनाया है l कोई भी पुरुष अथवा महिला खुद के द्वारा बनाए नहीं गए l कोई भी स्वयं से गुणवान, जानकार, या बुद्धिमान नहीं बनता l परमेश्वर ने ही हममें से हर एक को बनाया l उसने हमारे विषय सोचा और हमें अपने असीम प्रेम के कारण बनाया l

परमेश्वर ने आपका शरीर, दिमाग, और आत्मा बनाया l और वह अभी भी आप में अपना कार्य कर रहा है l वह अभी भी आपको बना रहा है l हमारी परिपक्वता ही उसका एकमात्र उद्देश्य है : “जिसने तुम में अच्छा काम आरम्भ किये हैं, वही उसे यीशु मसीह के दिन तक पूरा करेगा” (फ़िलि. 1:6) l परमेश्वर आपको और सामर्थी, ताकतवर, पवित्र, और शांतिमय, और प्रेमी, कम स्वार्थी अर्थात् जैसा आप बनना चाहते थे वैसा ही बना रहा है l

“[परमेश्वर की] सच्चाई पीढ़ी से पीढ़ी तक बनी रहती है” (भजन 100:5) l परमेश्वर ने हमेशा आपसे प्रेम किया है (“हमेशा” दोनों ओर), और वह आपके साथ अंत तक विश्वासयोग्य रहेगा l

आपको ऐसा प्रेम मिला है जो सर्वदा तक रहेगा और एक परमेश्वर जो आपको कभी नहीं छोड़ेगा l यही आनंद करने का अच्छा कारण है और “जयजयकार के साथ उसके सम्मुख [आने का कारण भी]!” (पद 2) l

यदि आप गा नहीं सकते, केवल उसे ऊंची आवाज़ में पुकारें : “यहोवा का जयजयकार करो” (पद.1) l

शांतिमय घर की प्रतिज्ञा

65 करोड़ l वर्तमान में हमारे संसार में शरणार्थियों की संख्या इतनी है अर्थात् लोग जो लड़ाई और उत्पीड़न के कारण बेघर हो गए और यह संख्या पिछले समयों से कहीं अधिक है l संयुक्त राष्ट्र ने अगुओं से सिफारिश की है कि शरणार्थी स्वीकार किये जाएं ताकि हर एक बच्चा शिक्षा पा सके, हर एक व्यस्क को काम मिल सके, और हर एक परिवार के पास घर हो l

संकट में रह रहे शरणार्थियों के लिए घर बनाने का सपना मुझे परमेश्वर द्वारा यहूदा राष्ट्र को दी गयी प्रतिज्ञा याद दिलाती है जब अश्शूरी सेना ने उनके घरों को उजाड़ने की धमकी दी थी l परमेश्वर ने नबी मीका द्वारा अपने लोगों को चेतावनी दी कि वे अपना मंदिर और प्रिय नगर यरूशलेम खो देंगे l किन्तु परमेश्वर ने उनको हानि से परे एक सुन्दर भविष्य देने की भी प्रतिज्ञा की l

मीका ने कहा, “एक दिन आएगा जब परमेश्वर अपने लोगों को अपने निकट बुलाएगा l हिंसा का अंत होगा l हथियार खेती करने के औज़ार बन जाएंगे, और परमेश्वर की बात सुननेवाला हर एक व्यक्ति के पास एक शांतिमय घर होगा और उसके राज्य में एक फलवन्त जीवन (4:3-4) l

वर्तमान संसार में आज बहुतों के लिए, और शायद आपके लिए भी, एक सुरक्षित घर सच्चाई से अधिक एक सपना हो सकता है l किन्तु हम, सभी राष्ट्रों के लोगों के लिए एक घर सम्बन्धी परमेश्वर की उस पुरानी प्रतिज्ञा पर भरोसा कर सकते हैं, जब हम उन शांतिमय घरों के सच्चाई में बदलने के लिए कार्य कर रहे हैं और प्रार्थना कर रहे हैं l

भय नहीं किन्तु विश्वास

मेरी एक सहेली ने मुझे बताया कि उसके पति को दूसरे देश में जाकर कार्य करने की तरक्की मिली, किन्तु इससे उसके मन में घर छोड़ने का भय उत्पन्न हो गया जिससे उसके पति ने नहीं चाहकर भी उस पेशकश को ठुकरा दिया l उसने समझाया कि इस बड़े बदलाव के समय उसके भय ने उसे इस नए अभियान को अपनाने से रोका, और वह कभी-कभी सोचती रही कि उसने उस अवसर को उन्होंने खो दिया था जिससे उन्नत्ति रुक गयी थी l  

इस्राएलियों की चिंता ने उन्हें भरपूर और उपजाऊ देश में जाने से रोका जिसमें “दूध और शहद” (निर्ग. 33:3) की धाराएं बहती थीं l वे बड़े नगरों में शक्तिशाली लोगों के विषय सुनकर (पद.27), डरने लगे l अधिकतर लोगों ने प्रतिज्ञात देश में प्रवेश करने से इनकार किया l

किन्तु यहोशू और कालेब ने यह कहकर लोगों को परमेश्वर पर भरोसा करने को कहा, “न उस देश के लोगों से डरो, क्योंकि ... यहोवा हमारे संग है” (पद.9) l यद्यपि दुश्मन बहुत थे, वे भरोसा कर सकते थे कि परमेश्वर उनके साथ है l

मेरे सहेली को इस्राएलियों की तरह दूसरे देश में जाने की आज्ञा नहीं मिली थी, फिर भी उसके भय ने उसको उस सुअवसर को प्राप्त करने से रोक दिया l आपके साथ कैसा है, क्या आप भयभीत करनेवाली स्थिति का सामना कर रहे हैं? यदि हाँ, तो जानिये कि परमेश्वर आपके साथ है और आपका मार्गदर्शन करेगा l उसके अचूक प्रेम पर भरोसा करके, हम विश्वास से आगे बढ़ सकते हैं l

उसके पंखों की आड़ में

सुरक्षा के विषय सोचते हुए, मैं अपने आप से चिड़ियों के पंखों के विषय नहीं सोचता हूँ l यद्यपि किसी चिड़िया के पंख एक कमज़ोर सुरक्षा की तरह दिखाई देते हैं, उनमें और भी है जो हमारी आँखें नहीं देखती हैं l

चिड़ियों के पंख परमेश्वर की रचना का अद्भुत उदाहरण है l पंखों में कोमल और रोयेंदार, दोनों भाग होते हैं l पंख के कोमल भाग में कठोर कांटें होते हैं जिसमें हुक होते हैं जो जिपर के दांतों की तरह आपस में बंद हो जाते हैं l रोयेंदार भाग चिड़िया को गरम रखता है l पंख के दोनों भाग चिड़िया को हवा और बारिश से बचाते हैं l किन्तु शिशु पक्षी रोयें से ढके होते हैं और उनके पंख अभी पूरे विकसित नहीं हुए हैं l इसलिए माँ पक्षी उन्हें अपने पंखों से ढांक कर हवा और बारिश से बचाती है l

भजन 91:4 और बाइबिल के दूसरे परिच्छेदों में(देखें भजन 17:8) “अपने पंखों से [हमें] अपने आड़ में” लेने की परमेश्वर की तस्वीर आराम और सुरक्षा की है l हमारे मनों में एक माँ चिड़िया द्वारा अपने बच्चों को अपने पंखों से ढकने की तस्वीर दिखायी देती है l जिस तरह माता-पिता की बाहें एक डरावने तूफ़ान या एक हानि में एक सुरक्षित स्थान है, उसी तरह आराम देनेवाली परमेश्वर की उपस्थिति जीवन की भावनात्मक तूफानों में सुरक्षा और बचाव है l

यद्यपि हम परेशानी और दुःख से होकर निकलते हैं, हम उनका सामना भय के बिना कर सकते हैं जब तक हमारे चेहरे परमेश्वर की ओर हैं l वह हमारा “शरणस्थान” है (91:2, 4, 9) l